( सभी मिल जायके )
मेरे बढे अभिमान को
ऊँचा न बढ़ा दे ।
तेरे परम पावन ही,
चरणों में चढ़ा दे || टेक ||
झूठे ही जगत मे किया
झूठा प्रपंच था
बेकार था सारा जिवन
छोटा हि अंच था ।
आता ही कभी ख्याल तो
सचसे हि लढा दे ॥ १ ॥
अंधा हि था अंधियार में ,
मस्ती में भागता ।
ग्यानी न थी वह इंद्रियाँ ,
पल पल में जाग था ।
अच्छी बनाके आँखे ,
यह भेद उडा दे ॥ २ ॥
बेरंग में सोया पडा ,
कई दूर दूर था ।
विषयों के भरे किचड का ,
ही सहूर था ।
तुकडया को तेरे दर्श से ,
हरदम ही जुडा दे ॥ ३ ॥
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